श्रीमद् भगवद्गीता   यथारूप


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आमुख

1
 कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण

2
गीता का सार

3
कर्मयोग

4
दिव्य ज्ञान

5
कर्मयोग-कृष्णभावनाभावित कर्म

6
ध्यानयोग

7
भगवद्ज्ञान

8
भगवत्प्राप्ति

9
परम गुह्य ज्ञान

10
श्री भगवान् का ऐश्वर्य

11
विराट रूप

12
भक्तियोग

13
प्रकृति, पुरुष तथा चेतना

14
प्रकृति के तीन गुण

15
पुरुषोत्तम योग

16
दैवी तथा आसुरी स्वभाव

17
श्रद्धा के विभाग

18
उपसंहार-संन्यास की सिद्धि